Friday, August 23, 2013

मुहब्बत

                                   मुहब्बत

मुहब्बत करना तो सबको आता है
जतलाना कितनो को आता है
यह शब्द नहीं एहसास है
कब कहाँ हो जाये ,इसमें कुछ तो खास है 
है सबको मानते कितने हैं  
यह क्या है आज तक समझ नहीं आया
हाथ में हाथ डाल घूमना मुहब्बत है
एक दुसरे को समझना मुहब्बत है
किसी का दिल  को भा जाना मुहब्बत है
इसका असल भाव समझ नहीं आया
यह सच है या कोई छाया
 या मृगतृष्णा है जिसने इंसान को लुभाया
आज तक कोई समझ नहीं पाया


2 comments:

  1. मोहब्बत एक अबूझ पहेली है..मगर इसे सुलझाना क्यूँ???
    मोहब्बत को महसूस किया जाए बस....

    सुन्दर रचना..
    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद अनु जी
      सही कहा आपने इस अनबूझ ही रहने दिया जी तो अच्छा है

      Delete