Thursday, July 26, 2012

नज़र

नज़र 
जैसे चील की नज़र हर  वक्त मॉस पे टिकती है
क्यूँ हर  नज़र ऐसे चुभती है
क्या पता इस परदे के पीछे ध्युआं  भी बाकी ना हो
राख  भी आंसुओं  से धुल गई हो ...............

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